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व्याख्या — गोस्वामी श्री तुलसीदास जी की ‘कवितावली’ में ‘अमित जीवन फल’ का वर्णन इस प्रकार है –

सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥ चारों जुग परताप तुह्मारा ।

जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥ दुर्गम काज जगत के जेते ।

श्री हनुमान चालीसा - जय हनुमान ज्ञान गुन सागर

व्याख्या – रोग के नाश के लिये बहुत से साधन एवं औषधियाँ हैं। यहाँ रोग का मुख्य तात्पर्य भवरोग से तथा पीड़ा का तीनों तापों (दैहिक, दैविक, भौतिक) से है जिसका शमन श्री हनुमान जी के स्मरण मात्र से होता है। श्री हनुमान जी के स्मरण से निरोगता तथा निर्द्वन्द्वता प्राप्त होती है।

Eventually, Rama disclosed his divine powers given that the incarnation in the God Vishnu, and slew Ravana and the remainder of the demon army. Ultimately, Rama returned to his property of Ayodhya to return to his put as king. Immediately after blessing all those that aided him during the battle with gifts, Rama gave Hanuman his present, which Hanuman threw away.

Absolutely conscious of the deficiency of my intelligence, I focus my attention on Pavan Kumar and humbly request strength, intelligence, and correct know-how To alleviate me of all blemishes resulting in pain.

The Hindu deity to whom the prayer is tackled is Hanuman, an ardent devotee of Rama (the seventh avatar of Vishnu) plus a central character while in the Ramayana. A normal One of the vanaras, Hanuman was a warrior of Rama within the war in opposition to the rakshasa king Ravana.

भावार्थ– आप साधु–संत की रक्षा करने वाले हैं, राक्षसों का संहार करने वाले हैं और श्री राम जी के अति प्रिय हैं।

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Reciting it can help a person to channelize their Vitality and supplies a complete aim of mind and physique. Reciting or chanting of this Chalisa is a common religious apply amongst an incredible number of Hindus all around the world.

यहाँ हनुमान जी के स्वरूप की तुलना सागर से की गयी। सागर की दो विशेषताएँ हैं – एक तो सागर से भण्डार का तात्पर्य है और दूसरा सभी वस्तुओं की उसमें परिसमाप्ति होती है। श्री हनुमन्तलाल जी भी ज्ञान के भण्डार हैं और इनमें समस्त गुण समाहित हैं। किसी विशिष्ट व्यक्ति का ही जय–जयकार किया जाता है। श्री हनुमान जी ज्ञानियों में अग्रगण्य, सकल गुणों के निधान तथा तीनों लोकों को प्रकाशित करने वाले हैं, अतः यहाँ उनका जय–जयकार किया गया है।

व्याख्या—इस चौपाई में श्री हनुमन्तलाल click here जी के सुन्दर स्वरूप का वर्णन हुआ है। आपकी देह स्वर्ण–शैल की आभा के सदृश सुन्दर है और कान में कुण्डल सुशोभित है। उपर्युक्त दोनों वस्तुओं से तथा घुँघराले बालों से आप अत्यन्त सुन्दर लगते हैं।

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